संस्कारधानी में उमड़ा नारी शक्ति का सैलाब - Bhaskar Crime

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संस्कारधानी में उमड़ा नारी शक्ति का सैलाब

साड़ी वॉकाथान मे भारतीय संस्कृति एवं नारी सशक्तिकरण की झलक दिखाई दी

संस्कारधानी में उमड़ा नारी शक्ति का सैलाब, रंग बिरंगी सड़ियों, झांकियों में सज-धज कर आई महिलाएं

भारतीय साड़ी, न केवल एक वस्त्र बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अनमोल रत्न है

उड़ान 2024 साड़ी वॉकाथान का आयोजन,फूल नहीं चिंगारी है हम भारत की नारी है

जबलपुर संवाददाता // भारतीय साड़ी, न केवल एक वस्त्र बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अनमोल रत्न है राम-सीता, झांसी की रानी, लक्ष्मीबाई, भारत माता सहित विभिन्न प्रदेशों की साड़ियों के प्रधान में सज-धज कर महिलाओं का हुजूम संस्कारधानी की सड़कों पर सुबह-सुबह उमड़ा। अवसर था उड़ान 2024 के द्वारा आयोजित साड़ी वॉकाथान का।

 गुरुवार सुबह महिलाओं के अंदर एक अलग ही जोश, जुनून और जज्बा दिखा। सियाराम की जय, झांसी की रानी जिंदाबाद, भारत माता का जयकारा करते हुए रंग बिरंगी साड़ियों में उपस्थित महिलाओं का कारवां कमानिया गेट से प्रारंभ हुआ, फूल मंडी मछरहाई, लार्डगंज पुलिस थाने के सामने से घमंडी चौक होते हुए वापस कमरिया गेट पर साड़ी वॉकाथान का समापन हुआ। साड़ी वॉकाथान मे भारतीय संस्कृति एवं नारी सशक्तिकरण की झलक दिखाई दी। साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी, साध्वी मैत्री दीदी, श्रीमती प्रीति-विनय सक्सेना, आयोजन समिति आयोजन समिति की सदस्य श्रीमती गीता शरद तिवारी, श्रीमती प्रीति पाली जैन, आराधना चौहान, श्रीमती सुनयना जायसवाल, शिखा खटवानी, प्रीति त्रिपाठी, सुनीता माहेश्वरी ने झंडी दिखाकर साड़ी वॉकाथान का शुभारंभ किया।

आत्मविश्वास जगाना उद्देश्य :

आयोजकों ने बताया कि भारतीय साड़ी, न केवल एक वस्त्र बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अनमोल रत्न है। साड़ी महिलाओं की सुंदरता, गरिमा और विविधता को दर्शाती आ रही है। हर राज्य की अपनी अनूठी साड़ी शैली और बुनाई तकनीक होती है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करती है। साड़ी न केवल एक वस्त्र है, बल्कि यह भारतीय महिलाओं की पहचान, आत्मविश्वास और शक्ति का प्रतीक भी है। इसी उद्देश्य को विस्तार रूप देने के लिए साड़ी वॉकाथान का आयोजन किया गया।

छठ पूजा की दिखी झलक :

भगवान सूर्य की उपासना के महापर्व छठ के दिन आयोजित साड़ी वॉकाथान में श्रीमती वंदना जैन छठ पूजा की सामग्री और परिधान में आई। बैलगाड़ी में सवार होकर निकली महिला नेत्रियां। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण और मध्य भारतकी संस्कृतविरासत को समझते हुएसाड़ी में महिलाएं नजर आई। 

जगह-जगह हुआ स्वागत :

सदिवा कथन के मार्ग में जगह-जगह महिलाएं डीजे और परंपरागत वाद्य यंत्रों पर नृत्य करती हुई नजर आई।