आईजीआरएस (जनसुनवाई )की शिकायतों में गलत रिपोर्ट लगाने पर होगा एक्शन
सरकार की तरफ से यह निर्देश जारी होता है फिर भी आईजीआरएस करने वालों को खास निराशा ही मिलती है
आईजीआरएस संबंधित कुछ खास और महत्वपूर्ण बातें,
मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री या गृहमंत्री या राष्ट्रीय मानवाधिकार या किसी भी विभाग के अपने राज्य या केंद्र तक भी अपनी बात को आईजीआरएस के माध्यम से पहुंचiते हैं
आईजीआरएस पीड़ित तभी 99% कंडीशन में करते हैं जब संबंधित अधिकारी से उन्हें निराशा मिलती है या उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है ऐसी अवस्था में वह लखनऊ और दिल्ली तक आईजीआरएस करते हैं ताकि उनकी सुनवाई हो और उनके प्रार्थना पत्र पर समय पर कार्रवाई हो और उन्हें न्याय मिले,
अब इसमें पीड़ितों के साथ-समस्या कहां से आता है यह समझ लीजिए,
आप आइजीआरएस उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री या गृहमंत्री या राष्ट्रीय मानवाधिकार या किसी भी विभाग के अपने राज्य या केंद्र तक भी अपनी बात को आईजीआरएस के माध्यम से पहुंचiते हैं मगर इसमें सबसे बड़ी खामी यह है की फिर घूम फिर कर उसी अधिकारी के पास जांच के लिए लेटर भेजा जाता है जिस अधिकारी से ऑलरेडी आप निराश होकर आइजीआरएस कर चुके हैं यानी घूम फिर कर आपको वहीं पर आना है जहां से आप निराश होकर ऊपर तक पहुंचे थे ,
अब महत्वपूर्ण बात इसमें यह है कि जिस अधिकारी से ऑलरेडी निराश होकर आप ऊपर तक इस अधिकारी की शिकायत लखनऊ और दिल्ली तक भेज चुके हैं और फिर वही अधिकारी उस मामले की जांच कर रहे हैं तो वह कैसे आपके फेवर में रिपोर्ट लगाएंगे ,
इसीलिए 99% आईजीआरएस से पीड़ित लोग निराश है सरकार को इसमें उचित कदम उठाने के लिए बार-बार जो पीड़ित आईजीआरएस से निराश हैं उनके लिए कोई अलग डिपार्टमेंट जहां पर वह अपनी बात रख सके और अपने तत्वों को मजबूती से रख सके और मजबूती से ऊपर तक उसपर कार्रवाई हो तभी आईजीआरएस का सही मतलब समझ में आएगा और आईजीआरएस सफल हो पाएगा,
मिलना असंभव हो जाता है, इस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है,